1) कुलाँम का नियम :- दो स्थिर बिंदु आवेशो के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल आवेशो के मात्रक के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उन डोडो आवेशो के बीच की दुरी के व्यूत्क्रमानुपाती होता है
2)
धन तथा ऋण आवेश (Positive
and charge ):- सजातीय आवेश एक-दुसरे को
प्रतिकर्षण करते है तथा विजातीय आवेश एक दुसरे को आकर्षत करते है...
3)
धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश
लाह्को की परिकल्पना :- जब किसी पदार्थ में धन व ऋण
आवेशो की संख्याए बराबर होती है तो वे किसी बाह्य कण पर पड़ने वाले एक-दुसरे के
प्रभाव को निष्फल कर देते है..अत: वह पदार्थ आवेश्हीन हो जाता है.. धनावेशित कणों में
ऋण कणों को निकाल लेने पर भी धन कणों का प्रभाव बाढ़ जायेगा तथा पदार्थ धनावेशित हो
जायेगा इसी प्रकार विधुत उदासीन पदार्थ में कुछ मे ऋण मिलाकर उसे ऋणावेशित क्र
सकते है....
4)
इलेक्ट्रान सिद्धांत:- किसी वस्तु का धनावेशित हो जाना उसके परमाणुओं में इलेक्ट्रान
की कमी को व्यक्त करता है तथा वस्तु का ऋणावेशित हो जाना उसके परमाणुओं में
इलेक्ट्रान की अधिकता व्यत करता है..
5)
वैधुत आवेश का संरक्षण :- वैधुत आवेश न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया
जा सकता है..
6)
मूल आवेश : आवेश की quantam
प्रक्रति :- वैधुत आवेश को अनिश्चित रूप से विभाजित नही किया जा सकता आवेश के इसी गुण को
आवेश का क्वनटीकरण या परमाणुकता कहलाता है....
7) विधुत आवेश (Electric Charge) :- काँच गन्धक लाख आदि रगड़े जाने पर हल्की वस्तु को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है.
इन पदार्थो में यह गुण घर्षण के कारण होता है इस गुण प्राप्त कर लेने पर यह
वैधुतमय कहलाता है...
वैधुत बल की गुरुत्वाकर्षण बल से तुलना :-
I.
वैधुत बल आकर्षण बल भी हो सकता है तथा प्रतिकर्षण बल
भी हो सकता है : जबकि गुरुत्वाकर्षण बल सदैव आकर्षण बल होता है
II.
वैधुत बल दोनों आवेशो के बिच के माध्यम पर निर्भर
करते है जबकि गुरुत्वाकर्षणबल दोनों के द्रव्यमानो के बिच के माध्यम पर निर्भर
करते है
III.
वैधुत बल गुरुत्वाकर्षण बल
से कही ज्यादा अधिक प्रबल होता है उदहारण के लिए प्रोटोन के बीच वैधतुबल उन के
गुरुत्वाकर्षण बल के 1036 गुना बड़ा होता है दो इलेक्ट्रोनो के बीच तो
यह और भी अधिक 1043 गुना बड़ा होता है
कुलांम के नियम का महत्व :-
कुलाँम के नियम बहुत
दूरियों के लेकर बहुत कम दूरियों तक यहाँ तक की परमाण्विक दूरियों ( लगभग 10-11 मी० ) तथा नाभिकीय
दूरियों ( लगभग 10-15 मी०) के लिए भी सत्य है, अत: इस नियम से न केवल
आवेशित वस्तुओ के बीच कार्य करने वाले बलो का ज्ञान होता है बल्कि उन बालो का भी
व्याख्या करने में सहायता मिलती है...
nícє....
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