विलगकारियो (isolators)
विलगकारियो (isolators) का प्रयोग उच्च वोल्टता वाली विद्युत प्रणाली के भागो को चालू (प्रारम्भ) या बन्द करने लिये किया जाता है, जबकि उनमें कोई भार धारा न हो। इसके अलावा इनका प्रयोग विद्युत परिपथ को प्रत्यक्ष रूप में तोड़ने के लिये भी किया जाता है, ताकि इस बात में कोई शक न रहे कि मरम्मत स्थल पर काम करने वाली को कोई खतरा नहीं है।
ब्लेडों की संख्या के अनुसार विलगकारी (isolators) एक ध्रुवो (single pole) अथवा त्रिध्रुवी (three pole) हो सकते हैं। भवन के अन्दर अथवा बाहर लगाने के लिये भी अलग-अलग प्रकार के विलगकारी (isolators) होते है। त्रिध्रुवी बिलगकारी (isolators) , तीन एक ध्रुवी विलगकारी (isolators) से बने होते हैं, जो कि एक शाफ्ट द्वारा जुड़े रहते है।
नीचे प्रमुख (solators) का वर्णन किया गया है
1) अन्दर लगने वाला विलगकारी (Indoor type isolators)
चित्र 19 में 6-6kV के लिये अन्दर लगने वाला बिलगकारी (indoor isolators) दिखाया गया है। इसमें एक आधार फ्रेम होता है, जि पोर्सिलेन के दो आधार विद्युतरोधक (insulator) लगे रहते है, इनके निचले भाग पर कलबों लोहे को कोर (Thange) लगी है वाले भाग पर दलवा लोहे को टोपी (cup) चड़ी होती है। आधार विद्युतरोधकों की टोपी पर स्थिर सम्पर्कक लग होते हैं। (axle) तथा क्लैम्प द्वारा स्थिर सम्पर्क ब्लेड, चल सम्पर्क द्वारा जुड़ा होता है। चल सम्पर्कले पर एक छेद बना है, जिससे छड़ लगाकर विलगकारी (isolators) को चालू या बन्द किया जा सकता है।
a) त्रिध्रुवी विलगकारी (Three pole isolators)
चित्र 1.10 में IIKV के लिये अन्दर लगने वाला त्रिध्रुवो विलगकारी दिखाया गया है, जिसमें एक आधार फ्रेम पर विलगकारी के तीन ध्रुव लगे रहते है, जोकि आपस में एक ही शाफ्ट द्वारा जुड़े रहते हैं। शाफ्ट को घुमाने का कोण (barrier) द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। विलगकारी (isolators) के सम्पर्क ब्लेडों में स्प्रिंग तथा विद्युतचुम्बकीय ताले लगे रहते हैं, जो सम्पर्कको पर आवश्यक दबाव बनाये रखते हैं तथा लघु पथ धारा आने पर विलगकारी को अपने आप खुल जाने से रोकते हैं। पॉर्मिलेन की कड़ियों द्वारा सम्पर्क ब्लेड साफ्ट के साथ जुड़े रहते हैं ।
अन्दर लगने वाले त्रिध्रुवी विलगकारी (isolators) की बनावट अपेक्षाकृत सरल होती है, इनका संचालन हाथ से चलाये जाने वाले लोवर प्रचालकों द्वारा किया जाता है।
b) बाहर वाला विलगकारी (Outdoor type isolators)
चित्र 1.11 में 33 KV लाइनों के लिये लगने वाला बिलगकारी (isolators) दिखाया गया है, जिसके ब्लेड घुमाने पर सम्पर्क तोड़ते अथवा बनाते हैं। यह अलग ध्रुवों के रूप में बना होता है। ये ध्रुव नलों की आकार वाली कड़ियों द्वारा आपस में जुड़कर त्रिध्रुवी विलगकारी (isolators) बनाते हैं। तीनों ध्रुवो का संचालन हाथ से चलाये जाने वाले एक हो लीवर प्रचालक द्वारा किया जाता है
इस विलगकारों (isolators) का फ्रेम कोणी लोहे ( angle iron) का बना होता है, जिस पर कुछ प्लेटे बैल्डिंग द्वारा लम्बवत जुड़ी रहती है। जिस स्थान पर विलगकारी को लगाया जाता है, वहाँ पर ध्रुवों को जोड़ने के लिये फ्रेम से छेद बने रहते हैं। विलगकारी के प्रत्येक ध्रुव के लिये तीन पद विद्युतरोधकों (post insulator) होते हैं, जिनमें से बोच वाले विद्युतरोधक को घुमाया जा सकता है। इस ऊर्ध्वाधर अक्ष (vertical axis) के चारों ओर घूम सकता है। इस विद्युतरोधक के स्तम्भ का निचला हिस्सा एक क्षैतिज लीवर (horizontal lever) पर लगा होता है। यह लीवर शाफ्ट के साथ वेल्ड किया होता है तथा । ध्रुवों के बीच की छड़ों को आपस में जोड़ने का काम करता है। यह शाफ्ट ढलवाँ लोहे के आधार फ्रेम पर लगे एक बेयरिंग में
घूमती है। लीवर में एक किस पिन लगी होती है, जो उसकी बनी प्लेट में बने छिद्र में घूमता है।
शेष दो पद विद्युतरोधक (post insulator) स्थिर होते हैं, तथा नलिकाकार आधारों द्वारा मुख्य आधार फ्रेम पर लगे होते. हैं। बायें पृथक्कारी (3) का प्रयोग प्रचालक लीवर तथा सम्पर्क को लगाने के लिये किया जाता है, जबकि दायें विद्युतरोधक (1) का प्रयोग स्थिर सम्पर्क को लगाने के लिये किया जाता है।
मुख्य ब्लेड ताँबे की नली के आकार का होता है, जिनका एक सिरा बेलचे की तरह चपटा होता है। इसके चपटे सिरे पर एक-एक इस्पाती लोहे का चल हार्न (movable horn) रिवेट द्वारा लगा होता है। तांबे की नली तथा उस पर चढ़ी लोहे की टोपी क्रॉस बेस (cross base) में घूमती है; जबकि क्रॉस बेस विलगकारी के आधार फ्रेम में लगे बेयरिंगों में उर्ध्वाधर तल (vertical place) में घूमती है। इस प्रकार मुख्य ब्लेड न केवल अपने अक्ष के चारों तरफ ही बल्कि ऊर्ध्वाधर अक्ष के चारों तरफ भी घूम सकता है। ढलवाँ लोहे की छड़ कब्जों द्वारा क्लैम्प से जुड़ी रहती है। इस छड़ का दूसरा सिरा घूमने वाले विद्युतरोधक (insulator) के मुख्य लीवर के साथ रिंग (ring) द्वारा जुड़ा रहता है। स्थिर सम्पर्क तांबे के दो क्लैम्पो द्वारा बना होता है, तथा चपटे स्प्रिंगों द्वारा ढलवा लोहे के ब्रैकेट से जुड़ा होता है। ब्रैकेट मे एक स्थिर श्रृंग (fixed hom) भी लगा रहता है।
ब्रैकेट, इस्पात के एक डिस्क (disc) पर लगे होते हैं, तथा दोनों के मध्य लचक पदार्थ की परतें होती हैं। इस्पात की यह डिस्क पेचो द्वारा विद्युतरोधकों की टोपियों पर विशेष प्रकार की प्लेटो द्वारा लगी रहती है, जिनके सिरों पर भू-सम्पर्कन ब्लेडों के लिये सम्पर्क लगे रहते हैं। भू सम्पर्कन ब्लेड इस्पात की नली के आकार के होते हैं जिन्हें शाफ्ट के साथ लम्बवत वेल्ड किया जाता है। शाफ्ट, आधार फ्रेम में लगे बेयरिंगों में घूमता है। भू- सम्पर्कन ब्लेड विलगकारों द्वारा काटी गई लाइन की फेज तारों को भू (earth) से जोड़ने का कार्य करती है।
Topic cover :- isolator
isolator working animation
isolator in microwave
Isolator in hindi
isolator working in substation
isolator working
microwave isolator
opto isolator
Faraday rotation isolator
electrical isolator
Ground loop isolator
what is isolator
isolator operation
optical isolator
isolator installation
isolator microwave
tandem isolator
isolator and circulator
how to connect isolator switch
mcb vs isolator
how to make a ground loop isolator
circuit breaker and isolator
isolator vs mcb
optical isolator working principle
ferrite isolator
mcb isolator
how isolator works
opto isolator tutorial
difference between isolator and circulator
isolator use
isolator switch in hindi
isolator working principle
horizontal double break isolator
base isolator
pantograph type isolator
pantograph isolator
function of isolator
power isolator
isolator and circulator experiment
gis isolator
on load isolator open
isolator opening on load
difference between isolator and mcb
horizontal break isolator
operation of isolatorisolator switch
signal isolator
study of isolator
isolator testing
working of isolator
difference between isolator and circuit breaker
double break isolator
microwave isolator working animation
vibration isolator