संधारित तथा परावैधुत, चालक (Conductors), विधुतरोधी ( Insulations), 1 फैरड, संधारित्रो के उपयोग ( Use of Capacitors)

 


चालक (Conductors):- वे पदार्थ जिनमे बाह्य वैधुत लगाने पर बहुत अधिक आवेश वाहक गतिमान हो जाते है, चालक कहलाते है.

उदहारण :- लोहा, चाँदी,ऐलुमीनियम, परा आदि.

विधुतरोधी ( Insulations):- वे पदार्थ जिनमे सामान्य  धारा प्रवाह करना आसंभव नही होता विधुतरोधी अथवा आचालक कहलाते है.

उदहारण:- काँच , लकड़ी, वायु , कागज आदि.

वैधुत धारिता :- किसी चलाक में वैधुत धारिता , उस उस चालक के आवेश को ग्रहण करने की क्षमता को कहते है.

किसी चालक को q आवेश देने पर उस के विभव में V वृद्धि हो, तो

                  q α v

                  q = cv

यहाँ c नियतांक है.

किसी चालक की वैधुत धारिता चालक को दिए गये आवेश तथा चालक के विभव में होने वाली वृद्धि के अनुपात को कहते है .

                  c = q/v

1 फैरड = किसी चालक को 1 आवेश देने पर उस में जो 1 वोल्ट वृद्धि होती है उसे 1 फैरड  कहते है है.

वैधुत धारिता का मात्रक तथा विमा :-

मात्रक :- फैरड = कुलाँम / वोल्ट = कुलाँम / जूल /कुलाँम

      = कुलाँम2 / जूल = (एम्पियर x से०)/ न्यूटन x मी०

विमा :-  [ M-1L2T4A2 ]

 

संधारित्रों का समायोजन :- संधरितत्रो का समायोजन 2 प्रकार से होता है.

1 क्षेणी क्रम

      1/C= 1/C1 + 1/C + 1/C3...

 

 

2 समान्तर क्रम

 

C= C1 + C2 + C3..

आवेशित संधारित्रो की स्थितिज उर्जा :- माना की संधारित्र की धारिता C है किसी क्षण संधारित्र पर आवेश q1 है तथा उस क्षण प्लेटों के बीच विभवान्तर V1 है तब

V1= q1/C

अत्यंत सूक्ष्म आवेश dq देने पर –

dw = विभव x आवेश

    = V1 x q1

     = q1 /c x dq1

संधारित्र को शून्य से q आवेश में किया गया कार्य –

 


 

संधारित्रो के उपयोग ( Use of Capacitors):-

      1) आवेश का संचय करने में,

      2) उर्जा का संचय करने में,

      3) वैधुत उपकरणों में,

      4) इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में,

      5) वैज्ञानिक अध्यन में .

 

 

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